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खास बातचीत: सिंगर अंकित तिवारी ने कहा-मेरा और पल्लवी का रिश्ता टूटने की कगार पर आ गया था, लेकिन समय ने बचा लिया

मुंबई12 मिनट पहलेलेखक: उमेश कुमार उपाध्याय
हस्बैंड-वाइफ सिंगर अंकित तिवारी और पल्लवी तिवारी स्टार प्लस के शो स्मार्ट जोड़ी में प्रतिभागी बने नजर आ रहे हैं। अंकित का शो में आने का मेन मकसद वाइफ के साथ समय बिताना है। क्योंकि एक वक्त था, जब पत्नी को समय न दे पाने की वजह से अंकित का रिश्ता टूटने के कगार पर आ गया था। दोनों अलग रहने लग गए थे। अब दैनिक भास्कर से खास बातचीत में अंकित ने अपने टूटते-बिखरते रिश्ते से लेकर जुड़ने और उससे मिलने वाली सीख के बारे में बताया है।
सुना है, कभी पत्नी पल्लवी को समय न देने पाने की वजह से आपका रिश्ता टूटने के कगार पर आ गया था?
हां, यह सच है कि रिश्ते को समय न देने पाने पर रिश्ते में दूरियां आ गई थीं। हमारा रिश्ता सच में टूटने के कगार पर आ गया था। लेकिन, समय ने ही बचा लिया। चीजें बेहतर हो गईं। स्मार्ट जोड़ी शो खासकर इस मामले में बहुत अहम भूमिका निभा रहा है कि अपने पार्टनर को समय दे पा रहा हूं। मैं तो जितना सोचा था, उससे ज्यादा वक्त दे रहा हूं। जिस दिन हमारा शूट होता है, उस दिन भरपूर समय साथ बिताते हैं, क्योंकि कम से कम 12 घंटे शूट होता ही है। यह समय रिश्ते को प्रगाढ़ बनाने में और बेहतर काम कर रहा है।
किस मोड़ पर आपस में मिस अंडरस्टैंडिंग हुई? विस्तार से बताइए?
बात यह थी कि मैं वाइफ को टाइम नहीं दे पा रहा था, जिससे हम साथ में रह नहीं पा रहे थे। हमने अपना हनीमून ही नहीं किया। शादी होने के अगले दिन मेरा चंडीगढ़ में शो था, फिर तो शो करने चंडीगढ़ चला गया। सोचा कि यह शो कर लेता हूं, तब टिकट ब्लॉक करूंगा। फिर बीच में कुछ काम आ जाता था। सोचता था कि चलो, यह काम कर लेता हूं, उसके बाद टिकट ब्लॉक करेंगे। यहां जाएंगे, वहां जाएंगे, पर यह सोचता ही रह गया। कहीं गया ही नहीं। किसी लड़की के साथ यह अनफेयर है, क्योंकि वह बहुत सारे सपने लेकर ससुराल आती है। चलो, बहुत सारा सपना छोड़ दो, तब यह सपना तो होता ही है कि हस्बैंड के साथ हनीमून पर जाएंगे। वहां साथ में क्वालिटी टाइम स्पेंड करेंगे, जो पल्लवी को नहीं मिला। मुझे भी नहीं मिला। प्लानिंग अधूरी रह गई। यह मेरी गलती थी। इस तरह उनकी जो गलती रही, उन्होंने एक्सेप्ट किया। इस तरह वह मायके में अलग तरीके से रह रही होंगी, जबकि ससुराल आने के बाद थोड़े-बहुत तरीके बदल गए होंगे। अब ससुराल में हस्बैंड की जिम्मेदारी होती है कि वह उस सिचुएशन को समझे, उसका साथ दे। कुल मिलाकर समय का खेल था।
समय ने रिश्ते को कैसे बचाया? कैसे दोनों ने अपनी गलती मानी?
पहल हम दोनों ने की। जिस-जिस की जो गलती थी, उसे दोनों ने एक्सेप्ट किया कि हमारी क्या गलती रही। कहते हैं कि किसी भी चीज के लिए सोच लो, तब नई शुरुआत है। हमने सोचा और रिश्ते की एक नई शुरुआत हुई। इस नई शुरुआत में हमने बिना किसी से पूछे आगे बढ़ गए। आज हम बतौर हस्बैंड-वाइफ और फैमिली बहुत खुश हैं। हमारी छोटी-बेटी आर्या है, हम तीनों अच्छा जीवन बिता रहे हैं। सब कुछ बेहतर है।
पल्लवी से भूल-चूक क्या रही और उन्होंने कैसे एक्सेप्ट किया?
सबका अपना नेचर होता है। पल्लवी की नजरिए से बोलूं, तब उनकी भूल यही थी कि वह मुझे छोड़कर चली गई थीं। बाद में उन्होंने एक्सेप्ट किया कि मुझे घर छोड़कर जाना नहीं चाहिए था। मुझे वह चीज समझनी चाहिए थी कि तुम टाइम क्यों नहीं दे पा रहे हो। शायद मैंने जल्दबाजी कर दी। उससे चीजें ऐसी हो गई। मैं थोड़ा और रुक सकती थी। वहां पर भी टाइम का ही गेम रहा। अगर हम दोनों एक-दूसरे को समय दे रहे होते, तब शायद इतनी आगे तक नहीं बढ़ती। देखिए, जब बात करते रहते हैं, तब रिजल्ट निकलकर आता है। खैर, हम दोनों ने अपनी-अपनी गलती को एक्सेप्ट किया और चीजें बेहतर हो गई।
दोनों के रिश्ते को जोड़ने और प्रगाढ़ बनाने में अहम रोल किसका रहा?
मेरी बेटी आर्या का अहम रोल रहा, जबकि उसको पता भी नहीं होगा। दरअसल, पल्लवी जब घर छोड़कर बंग्लौर चली गई, तब वहां बेटी की तबियत खराब हो गई थी। वह एक साल की भी नहीं हुई थी। उस समय हम दोनों फोन पर बात नहीं कर रहे थे, क्योंकि हम एक-दूसरे नाराज थे। जब बेटी आर्या की तबियत खराब हुई, तब उसे एडमिट कराना पड़ा। अचानक पल्लवी का फोन आया, तब उन्होंने बताया। मुझे लगा कि क्या हो गया। तुरत-फुरत मैं बंग्लौर गया। वहां जाकर पल्लवी और आर्या से मिला और उन्हें मुंबई लेकर आया। वापसी के समय जब हम एयरपोर्ट पर मिले, तब लगा कि यह मेरी फैमिली है। यह मेरी बच्ची है और मेरी यह जिम्मेदारी है। इस जिम्मेदारी को बड़ी खूबसूरती के साथ अच्छे से निभाना है। वहां मैंने यह डिसीजन लिया।
कोई चीज पॉजिटिव हो या निगेटिव, दोनों से ही सीख मिलती है, आपने क्या सीख ली?
मैंने यह सीख ली कि हमेशा गुस्से में लिया हुआ डिसीजन गलत ही होता है। जब आप नाराज और गुस्सा होते हैं, तब उस समय दिमाग में शैतान बैठा होता है। उस समय जो भी डिसीजन लेंगे, वह गलत ही होगा। मैंने यह सीखा कि कभी गुस्से में डिसीजन नहीं लेना चाहिए। एक-दो दिन, जितना भी टाइम आपको चाहिए, वह वक्त निकल जाने दीजिए। उसके बाद ही जो डिसीजन लेना हो, वह लीजिए। अगर दो-तीन बाद डिसीजन लेंगे, तब सही फैसला होगा। गुस्से में लिया गया डिसीजन हमेशा गलत होता है।
अच्छा, वाइफ पल्लवी के साथ पहला शो कर रहे हैं, इसे लेकर वे कितनी उत्साहित हैं?
पल्लवी बहुत एक्साइटेड हैं। शूट पर जाना, खुद की ब्यूटीफुल वैनिटी होना, जिस पर पल्लवी तिवारी का नाम लिखा हो, हेयर स्टाइलिश, मेकअप आर्टिस्ट, कॉस्ट्यूम डिजानर से लेकर सेट पर कैमरा का सामना करना, हर चीज उनके लिए पहली-पहली बार हो रही है। उन्हें यह सब करते हुए फील करता हूं, वह बहुत सुखदपूर्ण लगता है।
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