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खास बातचीत: ‘सुतलिया’ स्टार प्लाबिता बोरठाकुर ने कहा-वेब सीरीज की शूटिंग के बाद भोपाल से आने का मन नहीं कर रहा था

मुंबई22 मिनट पहलेलेखक: उमेश कुमार उपाध्याय
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‘पीके’, ‘लिपस्टिक अंडर माय बुरका’, ‘वाह जिंदगी’ जैसी फिल्में कर चुकीं एक्ट्रेस प्लाबिता बोरठाकुर की वेब सीरीज ‘सुतलिया’ ओटीटी प्लेटफॉर्म ‘जी 5’ पर 4 मार्च से स्ट्रीम हो रही है। प्लाबिता बोरठाकुर इस वेब सीरीज में रमनी चंदेल की भूमिका में नजर आ रही हैं। अब दैनिक भास्कर के साथ खास बातचीत में प्लाबिता ने वेब सीरीज और अपने करियर से जुड़ी कुछ बातें शेयर की हैं।
‘सुतलिया’ नाम सुनकर लगता है कि बड़ी रियल कहानी होगी?
जी हां, यह एकदम सही कह रहे हैं। यहां सुतलिया का मतलब एक-दूसरे के साथ बंधे होने से है। हम अपनी फैमिली और करीबी लोगों के साथ रिश्ते में बंधे होते हैं, यह ऐसी ही कहानी है। एक मां होती है। उसके तीन बच्चे-दो बेटे और एक लड़की होती है। बहुत दिनों के बाद बच्चे अपनी मम्मी से मिलने घर आते हैं। इनके बीच क्या प्रॉब्लम होती हैं, उसे कैसे सॉल्व करते हैं, बहुत सारी चीजें बाहर आती हैं, जो एक-दूसरे को पहले से पता नहीं थीं। इस कहानी में बहुत कुछ ऐसा देखने को मिलेगा, जो हमारे आम परिवार में होता है। जैसे हम अपनी फैमिली में लड़ते-झगड़ते हैं, पर कोई और बोल दे, तब सब मिलकर उस पर टूट पड़ते हैं। मैंने भी जब स्क्रिप्ट पढ़ी, तब लगा कि यह कहानी तो सबको समझ में आएगी।
सीरीज में मां का दर्द, बेटे के प्रति नाराजगी आदि बहुत कुछ देखने को मिला, मां और बच्चों का रिश्ता कैसा है?
मुझे लगता है कि तब किसी से निराश होते हैं, तब किसी से शिकवा होता है, जब उससे प्यार होता है। हम उन्हीं के साथ गिला-शिकवा करते हैं, जिनसे प्यार करते हैं, क्योंकि उन्हीं से हमारी आशाएं लगी होती हैं। वैसे ही मां का अपने बच्चों से आशाएं बंधी होती हैं। शायद कभी-कभी बच्चे वह पूरा नहीं कर पाते। कई बार बच्चे सोचते हैं कि मम्मी समझ जाएगी। आई थिंक, हर फैमिली में ऐसा होता है। वह सुतलियों के धागे जैसा पारिवारिक प्यार होता है। इसमें भी वही देखेंगे कि मां की अपने बच्चों से कुछ आशाएं हैं, जो पूरी नहीं हो रही है। बच्चों की भी कुछ मजबूरियां होगी, जिसकी वजह से वह नहीं कर पा रहे होंगे। पूरे शो में एक-एक कैरेक्टर के बारे में धीरे-धीरे जान पाएंगे। सबके अलग-अलग प्रॉब्लम हैं।
आपका किरदार रमनी चंदेल काफी आशावादी है, आखिर रमनी कैसी लड़की है?
रमणी बहुत इमोशनल लड़की है। उसको इजली किसी बात का बुरा भी लग सकता है। अपनी मम्मी के साथ उसकी ज्यादा बनती नहीं है। भाइयों के साथ भी वैसे है, जैसे आम परिवार में सबके लड़ाई-झगड़े होते हैं। उसकी अपनी लाइफ में भी बहुत कुछ चल रहा है, जिसे वह डील करने की कोशिश कर रही है। साथ ही मम्मी और भाइयों के साथ भी सब कुछ ठीक करने की कोशिश करती है। लेकिन वह ऐसी कैरेक्टर है कि मम्मी के साथ उसका जैसा भी रिश्ता हो, पर उसके परिवार के बारे में कोई कुछ बोले, तब वह नहीं सह सकती। अगर किसी ने कुछ कहा, तब उससे सबसे पहले लड़ पड़ेगी।
सुतलिया की शूटिंग भोपाल में हुई, वहां की कोई याद ताजा करेंगी? किस तरह से भोपाल शहर को एक्सप्लोर किया?
सुतलिया से पहले भोपाल में हम लोगों ने कुल 45 दिनों तक लिपस्टिक फिल्म शूट किया था। सुतलिया की शूटिंग करने भोपाल गई, तब मुझे लिपस्टिक फिल्म के दिन याद आने लगे। मैं जिस दिन लिपस्टिक अंडर माय बुरका की शूटिंग शेड्यूल खत्म करके भोपाल से वापस आ रही थी, उस दिन रो रही थी। मेरा वापस आने का मन ही नहीं कर रहा था। भोपाल बहुत सुंदर शहर और वहां के लोग बहुत अच्छे हैं। लिपस्टिक शूट के समय ब्रेक मिलता था, तब वहां खूब घूमने जाती थी। भोपाल में सुतलिया की शूटिंग कुल 50 दिनों तक हुई। इस बार तो ऐसा लग रहा था कि थोड़ा देर तक सो लूं।
हां, जिस होटल में हम लोग रुके थे, वह उसमें बहुत कुछ देखने लायक है। भोपाल में बहुत सुंदर तालाब हैं, वहां पर अपने को-एक्टर के साथ बोटिंग करने जाती थी। वहां पर राजू टी-स्टॉल नामक बहुत फेमस दुकान है, जहां पर काली जलेबी मिलती थी। उसे खाने जाते थे। मनोहर डेरी में खाना खाने जाते थे। मोशली, हमारा भाेपाल का ट्रिप इस बार खाना खाने के लिए हुआ था। हम लड़कियों को शॉपिंग करने की आदत है, सो शॉपिंग करने वहां के डीबी मॉल गई। वहां देखा कि बहुत पॉलर्स हैं। लिपस्टिक के टाइम हम डीबी मॉल के अपोजिट ही होटल में रुके थे, तभी ज्यादातर डीबी मॉल जाती थी। मुझे नए शहर में चलना बहुत पसंद है, इसलिए बीआईपी रोड पर, न्यू मार्केट में वॉक करने जाती थी।
आगे किन प्रोजेक्ट में दिखाई देंगी?
अभी मेरी फिल्म होमकमिंग रिलीज हुई है। इसके अलावा अगला प्रोजेक्ट सुतलिया है। इसके बाद एक शो एस्केप लाइव है। यह एक रियलिस्टिक डार्क शो है, जो ऑनलाइन वर्ल्ड के बारे में है। एक ऐप होता है, जिसमें अलग-अलग लोग रजिस्टर्ड कराते हैं। उसमें कैसे कंपटीशन होता है और कैसे एक-दूसरे के साथ कंप्लीट करते हैं। इसके अलावा अभी नायिका फिल्म की शूटिंग कर रही हूं, इसलिए इसके बारे में ज्यादा नहीं बता सकती। मेरे पहले के भी दो प्रोजेक्ट हैं। एक फिल्म ‘छोटे नवाब’ है। यह अभी फिल्म फेस्टिवल में जा रही है। इसकी कहानी लखनऊ की नवाबी फैमिली के बारे में है। एक छोटा लड़का, जो छोटा नवाब होता है, वह कई सालों बाद इंडिया अपनी फैमिली से मिलने आता है। इस फैमिली ड्रामा में काफी सारे रिलेशन को दिखाया गया है। इसके अलावा अभिनव देव निर्देशित फिल्म ‘दूसरा’ है। इसका टेलर दो साल पहले आया था। यह डॉक्यूमेंट्री कम ड्रामा है। इसके बारे में ज्यादा नहीं बता सकती। इनकी रिलीज डेट सुनने के इंतजार में हूं। डेफिनेटली, यह सब इसी साल रिलीज होंगी।
महिला दिवस आ रहा है, क्या कहेंगी?
मैं डे वगैरह को ज्यादा नहीं मानती हूं। लेकिन महिला दिवस को जरूर मानना चाहती हूं। मुझे लगता है कि इस पर महिलाओं के बारे में जितनी डिस्कशन करें, वह कम है। बहुत लोगों को ऐसा भी लगता है कि वुमेन डे मनाना जरूरी नहीं है। लेकिन ऐसा एक दिन होता है, तब हम उसके बारे में, उसके इश्यू के बारे में डिस्कशन शुरू करते हैं। खुश हूं कि साल में एक बार महिला दिवस सेलिब्रेट करते हैं। मैं यही कहना चाहती हूं कि हर साल की तरह इस साल भी बहुत सारे डिस्कशन हो ताकि महिलाएं एक स्टेप आगे आएं।
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