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होली स्पेशल: विद्या बालन, अक्षय कुमार, कृति सेनन, संजना संघवी समेत कई बॉलीवुड सेलेब्स ने शेयर की होली से जुड़ी कुछ खास यादें

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  • Holi Special: Many Bollywood Celebs Including Vidya Balan, Akshay Kumar, Kriti Sanon, Sanjana Sanghi Shared Some Special Memories Related To Holi

मुंबईएक घंटा पहलेलेखक: किरण जैन

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देशभर में होली की धूम शुरू हो चुकी है। इस त्यौहार को न केवल आम इंसान, बल्कि बॉलीवुड स्टार्स भी धूमधाम से मनाते हैं। दैनिक भास्कर ने इस खास मौके पर बॉलीवुड की पॉपुलर हस्तियों से बात की। इस दौरान विद्या बालन, कृति सेनन, मृणाल ठाकुर, समेत कई सेलेब्स ने होली से जुड़ी यादें शेयर की हैं।

विद्या बालन: सुबह चार बजे पापा गुब्बारों में पानी भरते थे
आम तौर पर हम साउथ इंडियन होली का त्यौहार मनाते नहीं हैं। हालांकि, मुंबई में हम पले-बड़े तो भला इस त्यौहार को सेलेब्रेट करने से कैसे खुद को रोक पाते। साउथ इंडियन सब कुछ सूरज उगने से पहले ही करते हैं; होली में भी कुछ ऐसा ही होता था। सुबह चार बजे पापा गुब्बारों में पानी भरते थे और हम बस एक दूसरे के साथ ही होली खेलते थे। जब तक कॉलोनी में दूसरे लोग उठते और उनकी होली शुरू होती, तब तक हमारी होली खत्म हो चुकी होती थी (हंसते हुए) मुझे इस मौके पर इमरती खाने का बहुत शौक होता था, जो हमारे पंजाबी पड़ोसी लेकर आते थे। उनकी होली दोपहर में शुरू होती थी। मेरी सबसे अच्छी यादगार होली की मेमोरी है-भांग को बिना जाने खाना और फिर सारा दिन हंसना, उस वक्त मैं केवल 16 साल की थी। आज भी उस दिन को याद करती हूं तो खुद को हंसने से रोक नहीं पाती। साथ ही मैं अपनी त्वचा पर और बालों में नारियल के तेल की मालिश किए बिना घर से नहीं निकलती थी। मुझे लगता है कि हानिकारक रंगों को दूर रखने का यह सबसे स्वाभाविक तरीका है। इतना ही नहीं, रंग आसानी से उतर जाते हैं।

अक्षय कुमार: होली मतलब एक दूसरे के गालों पर रंग मलो, स्वादिष्ट पकवान खाओ, थोड़े ताश खेलो
मेरे लिए होली मतलब, एक दूसरे के गालों पर रंग मलो, जलेबी, गुजिया जैसे स्वादिष्ट पकवान खाओ, ताश खेलो और फिर दूसरों पर गुब्बारें मारो। बचपन में मुझे ये सब करना बहुत पसंद था। पानी से भरे गुब्बारें एक दूसरे पर फेंकना, रंग लगाना; हालांकि अब पिछले कुछ सालों से अपने परिवार के साथ वक्त बिताना ज्यादा पसंद करता हूं। इस बार भी यही कहूंगा की त्यौहार मनाएं, लेकिन जानवरों पर रंग न फेंके।

मृणाल ठाकुर: हम हर साल घर पर पूरन पोली बनाते हैं
इस होली की सबसे खास बात ये है कि इस बार ये फेस्टिवल मैं अपने परिवार वालों के संग बीकानेर में मनाने वाली हूं। ये मेरे दो साल बाद अपने परिवार के साथ पहली छुट्टी है। मैं पिछले कई महीनों से बिना ब्रेक लिए काम कर रही हूं और शायद इसीलिए इस मौके पर बहुत भावुक हो रही हूं। हम हर साल होली पर घर पर पूरन पोली बनाते हैं। यह मेरे परिवार की सबसे पसंदीदा डिश है। हम आमटी भात, कुर्डाई पापड़ और भुजिया भी खाते हैं। गुलाल के संग इस बार भी खूब एन्जॉय करुंगी।

कृति सेनन: होली के पहले ही, मां ने मुझे गुजिया से भरा डिब्बा भेज भी दिया है
इस बार की होली मैं ‘बच्चन पांडे’ की ऑडियंस के संग मनाऊंगी। जी हां, फिलहाल हमारा प्लान कुछ इस तरह का ही है, जहां होली के दिन हम थिएटर जाएंगे और हमारी फिल्म पर ऑडियंस का रिएक्शन देखेंगे। होली, मेरा सबसे पसंदीदा त्यौहार है। क्योंकि ये बहुत ही कलरफुल होता है। मेरी मां ने मुझे गुजिया से भरा डिब्बा भेज भी दिया है (हंसते हुए)। उन्हें पता है कि मुझे गुजिया खाना कितना पसंद है। चाहे कितनी भी डाइट क्यों ना करूं, इस मौके पर गुजिया खाने से खुद को रोक नहीं पाती।

संजना संघवी: जिस नल से हम पिने का पानी भरते थे, उसी से पिचकारी भरते और एक दूसरे पर फेंकते
मेरी बेस्ट मेमोरीज स्कूल की हैं, क्योंकि बचपन में हम एक दिन नहीं बल्कि पूरा हफ्ता अपने दोस्तों के संग होली मनाते थे। छोटी-छोटी होली मनाते थे। मुझे याद है कि हम पूरा हफ्ता ब्रेक के बाद क्लास अटेंड ही नहीं करते थे। जिस नल से हम पिने का पानी भरते थे, उसी से पिचकारी भरते और एक दूसरे पर फेंकते। स्कूल में गुब्बारों की थैलियां ले जाते और चुपके-चुपके पानी भरकर अपने दोस्तों पर फेंकते। शुरआत में एक दूसरे से झगड़ते और फिर मिलकर होली खेलते थे। फिर जब घर लौटती, तो मां से खूब डांट पड़ती, लेकिन हम सुधरते नहीं (हंसते हुए) अब ऐसे सेलेब्रेट नहीं कर पाती। क्योंकि अगले दिन डायरेक्टर अगर गुलाल से भरे बाल या नाखून देख ले तो खूब डांट पड़ती है। उन पुराने दिनों को बहुत मिस करती हूं।

मानुषी छिल्लर: मुझे गुजिया खाना बहुत पसंद है
होली की तैयारी आप त्योहार से कुछ हफ्ते पहले ही शुरू कर देते हैं, जिनमें से एक गुजिया बनाना है। मुझे गुजिया खाना बहुत पसंद है। ये जब किसी नार्थ इंडियंस में पले-बढ़े घर पर ही बनाया जाता है, तो इसका मजा ही कुछ अलग होता है। होली के बारे में मेरे पसंदीदा हिस्से हुआ करते थे, मेरी बेस्ट यादें बचपन की हैं जब हम बैंगलोर में रहते थे। मुझे आज भी याद है कि एक छोटी गुलाबी पिचकारी थी-गुलाबी मेरा रंग हुआ करता था, अपने दोस्तों के साथ घूमना, होली को लेकर बहुत उत्साहित होना और पिचकारी के साथ खेलना। मुझे लगता है कि होली के बारे में एक खास बात यह भी है कि आपके सभी दोस्त खेलने आते हैं और ग्रुप बनाकर रंगों से खेलते थे, जो वाकई मजेदार होता था।

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