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Rani Mukerji Birthday| Bubli from bunty aur bubli character is her all time favorite | रानी मुखर्जी के दिल के करीब है बबली, इसलिए दोबारा इसे करने का मौका गंवाना नहीं चाहती थीं

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Rani Mukerji Birthday

  • 14 साल की उम्र में रानी को फिल्म ‘आ गले लग जा’ के लिए लेखक सलीम खान ने ऑफर दिया था
  • 1996 में पिता की फिल्म ‘बियेर फूल’ से कॅरिअर शुरू किया जो हिंदी में ‘राजा की आएगी बारात’ नाम से बनी

दैनिक भास्कर

Mar 21, 2020, 10:50 AM IST

बॉलीवुड डेस्क. खंडाला गर्ल’ रानी मुखर्जी ने ने कभी कॉलेज गर्ल बनकर दर्शकों का दिल चुराया तो कभी अंधी-बहरी लड़की बनकर दर्शकों की आंखें नम कर दीं तो कभी ‘मर्दानी’ बनकर जुर्म के खिलाफ आवाज भी उठाती दिखीं। आज 21 मार्च को रानी का 42वां बर्थडे है। इस मौके पर एक मुलाकात में रानी ने दैनिक भास्कर को दिया खास इंटरव्यू। 
 

रानी से जुड़ी कुछ खास बातें : 

  • 2014 में 21 अप्रैल को रानी ने इटली में निर्माता-निर्देशक आदित्य चोपड़ा से शादी की।
  • 2015 में रानी और आदित्य के घर बेटी आदिरा का जन्म हुआ।
  • 10 सालों तक रानी ने ओड़िसी डांसिंग के अपने शौक को पूरा किया। उन्हें इस डांस फॉर्म में महारत हासिल है।
  • 2 फिल्मफेयर अवॉर्ड एक ही साल में पाने वाली रानी एकमात्र एक्ट्रेस हैं।
  • 2005 में जहां उन्हें फिल्म ‘हम-तुम’ के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड दिया गया, वहीं फिल्म ‘युवा’ के लिए उन्होंने बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस की ट्रॉफी मिली।
  • 07 फिल्मफेयर अवॉर्ड रानी मुखर्जी ने अपने नाम किए हैं।
  • 02 फिल्में रानी की ऑस्कर अवॉर्ड में भी पहुंची थीं। इनमें ‘हे राम’ और ‘पहेली’ शामिल हैं।

रानी ने फिल्मों और सह-कलाकारों के बारे में भी इस तरह अपनी राय रखी।

बंटी और बबली 2’ का यह पार्ट कितना लैविश होने जा रहा है?
मैं क्या कह सकती हूं। मैं तो एक आर्टिस्ट भर हूं। हां, पिछली बार की तरह इस बार भी लोगों को मजा बहुत आने वाला है। इस बात की गारंटी मैं दे सकती हूं। हम बहुत जल्द इसकी पहली झलक ट्रेलर के रूप में जारी भी करने वाले हैं।

बंटी-बबली 2’ की स्क्रिप्ट में ऐसा क्या था जिसने अट्रैक्ट किया?
बबली का किरदार हमेशा मेरे दिल के करीब रहा है। उसे एक बार और निभाने का मौका मिला तो मैं इस सुनहरे मौके को हाथ से गंवाना नहीं चाहती थी। तभी इससे हर हाल में मैं जुड़ना चाहती थी। यह मेरे लिए खुशी संतुष्टि और गर्व की बात थी। यह अच्छी बात है कि सिनेमा समय-समय पर समाज को आईना दिखाता रहा है। हम जिस स्थिति में रहते हैं, उसके बारे में हमें किस तरह अपने साथ के लोगों का प्रति सहृदय और दयालु होना चाहिए, इसके बारे में बताता रहा है। सामाजिक जिम्मेदारी के लिहाज से ‘मर्दानी’, ‘हिचकी’ और ‘मर्दानी 2’ ने देश के लोगों के बीच महत्वपूर्ण संदेश फैलाया है और मुझे इससे खुशी है कि मैं इस तरह की फिल्मों का भी हिस्सा रह रही हूं। मौका मिला तो आगे भी हिस्सा बनूंगी।

सैफ के साथ फिर काम कर रही हैं, असल जिंदगी में वो कैसे हैं?
सैफ और हमारा एक बहुत स्पेशल रिश्ता है। हमने साथ में चार फिल्में की हैं। जाहिर तौर पर बतौर एक्टर हमारे बीच काफी अच्छी अंडरस्टैंडिंग है। हम दोनों एक-दूसरे को पर्सनली भी जानते हैं। आपसी समझदारी इतनी गहरी है हमारी कि हम दोनों एक-दूसरे से बिना बोले भी मन में क्या चल रहा है समझ जाते हैं। सैफ संग काम करने में बड़ा मजा आता है।

शाहरुख के साथ भी कई फिल्में की हैं। उनके साथ कैसी बॉन्डिंग रही ?
डायरेक्ट तो उनको मेंटॉर नहीं कह सकती। उन्होंने मुझे लॉन्च नहीं किया है, वे मुझसे हर वे में इतने बड़े हैं कि उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। जिस तरह से वे काम करते हैं वह डेडिकेशन खुद में लाने की कोशिश करती हूं। वे बहुत अच्छी-अच्छी एडवाइज भी देते हैं। शाहरुख का प्यार मुझे हमेशा मिलता रहा है।

फिल्म शूटिंग के मामले में क्या टेक्निकल एडवांसमेंट देखी है?
मेरे ख्याल से लाइटिंग बहुत ज्यादा चेंज हो चुकी है। कैमरे भी काफी हद तक बदल चुके हैं। कह सकते हैं कि फिल्मों पर विजुअली बहुत लैविश होने का प्रेशर आ गया है। हालांकि उसका भी हल तकनीक ने निकाल ही लिया है। सारा दारोमदार वीएफएक्स पर रहता है और उससे काफी हद तक फिल्में विजुअली अच्छी बन जाती हैं। जैसे ‘तानाजी…’ विजुअली बहुत अच्छी थी। कंटेंट के लिहाज से भी बहुत अच्छी थी। ‘बाहुबली 2’ मेरी पसंदीदा थी ही, ‘अर्जुन रेड्डी’ भी मुझे बहुत पसंद आई थी।

आपके हिसाब से किसी फ्रेंचाइजी फिल्म में कितना गैप होना चाहिए?
डिपेंड करता है कि कहानी कितनी बेहतर बनती है। फ्रेंचाइजी तभी बननी चाहिए, जब कहानी बेहतर हो। वरना कोई मतलब नहीं है। जैसे ‘फास्ट एंड फ्यूरियस’ के कई पार्ट आते रहे हैं हर साल। ‘मर्दानी’ के साथ अलग मामला है। एक सीरियस किस्म के मुद्दों को हम इसमें कहानी पेश करते आए हैं। उन्हें संजीदगी से दिखाने की कोशिश होती है। ऐसे में ‘मर्दानी’ के कई सारे पार्ट बनाना और मसाला फिल्मों के कई सारे पार्ट्स आने के घटनाक्रम को हम एक तराजू पर नहीं तौल सकते हैं। ‘मर्दानी’ जैसी फिल्मों से कुछ चेंज आए। हम अपनी बात रख सकें तो ही इसे बनाने का कोई महत्व रहता है। वरना धड़ल्ले से पार्ट तीन चार लाने का कोई मतलब नहीं है।


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